মক্কায় অবতীর্ণ |
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| بِسْمِ اللّهِ الرَّحْمـَنِ الرَّحِيمِ | |
| عَمَّ يَتَسَاءلُونَ |
01 |
| তারা পরস্পরে কি বিষয়ে জিজ্ঞাসাবাদ করছে? | |
| عَنِ النَّبَإِ الْعَظِيمِ |
02 |
| মহা সংবাদ সম্পর্কে, | |
| الَّذِي هُمْ فِيهِ مُخْتَلِفُونَ |
03 |
| যে সম্পর্কে তারা মতানৈক্য করে। | |
| كَلَّا سَيَعْلَمُونَ |
04 |
| না, সত্ত্বরই তারা জানতে পারবে, | |
| ثُمَّ كَلَّا سَيَعْلَمُونَ |
05 |
| অতঃপর না, সত্বর তারা জানতে পারবে। | |
| أَلَمْ نَجْعَلِ الْأَرْضَ مِهَادًا |
06 |
| আমি কি করিনি ভূমিকে বিছানা | |
| وَالْجِبَالَ أَوْتَادًا |
07 |
| এবং পর্বতমালাকে পেরেক? | |
| وَخَلَقْنَاكُمْ أَزْوَاجًا |
08 |
| আমি তোমাদেরকে জোড়া জোড়া সৃষ্টি করেছি, | |
| وَجَعَلْنَا نَوْمَكُمْ سُبَاتًا |
09 |
| তোমাদের নিদ্রাকে করেছি ক্লান্তি দূরকারী, | |
| وَجَعَلْنَا اللَّيْلَ لِبَاسًا |
10 |
| রাত্রিকে করেছি আবরণ। | |
| وَجَعَلْنَا النَّهَارَ مَعَاشًا |
11 |
| দিনকে করেছি জীবিকা অর্জনের সময়, | |
| وَبَنَيْنَا فَوْقَكُمْ سَبْعًا شِدَادًا |
12 |
| নির্মান করেছি তোমাদের মাথার উপর মজবুত সপ্ত-আকাশ। | |
| وَجَعَلْنَا سِرَاجًا وَهَّاجًا |
13 |
| এবং একটি উজ্জ্বল প্রদীপ সৃষ্টি করেছি। | |
| وَأَنزَلْنَا مِنَ الْمُعْصِرَاتِ مَاء ثَجَّاجًا |
14 |
| আমি জলধর মেঘমালা থেকে প্রচুর বৃষ্টিপাত করি, | |
| لِنُخْرِجَ بِهِ حَبًّا وَنَبَاتًا |
15 |
| যাতে তদ্দ্বারা উৎপন্ন করি শস্য, উদ্ভিদ। | |
| وَجَنَّاتٍ أَلْفَافًا |
16 |
| ও পাতাঘন উদ্যান। | |
| إِنَّ يَوْمَ الْفَصْلِ كَانَ مِيقَاتًا |
17 |
| নিশ্চয় বিচার দিবস নির্ধারিত রয়েছে। | |
| يَوْمَ يُنفَخُ فِي الصُّورِ فَتَأْتُونَ أَفْوَاجًا |
18 |
| যেদিন শিংগায় ফুঁক দেয়া হবে, তখন তোমরা দলে দলে সমাগত হবে। | |
| وَفُتِحَتِ السَّمَاء فَكَانَتْ أَبْوَابًا |
19 |
| আকাশ বিদীর্ণ হয়ে; তাতে বহু দরজা সৃষ্টি হবে। | |
| وَسُيِّرَتِ الْجِبَالُ فَكَانَتْ سَرَابًا |
20 |
| এবং পর্বতমালা চালিত হয়ে মরীচিকা হয়ে যাবে। | |
| إِنَّ جَهَنَّمَ كَانَتْ مِرْصَادًا |
21 |
| নিশ্চয় জাহান্নাম প্রতীক্ষায় থাকবে, | |
| لِلْطَّاغِينَ مَآبًا |
22 |
| সীমালংঘনকারীদের আশ্রয়স্থলরূপে। | |
| لَابِثِينَ فِيهَا أَحْقَابًا |
23 |
| তারা তথায় শতাব্দীর পর শতাব্দী অবস্থান করবে। | |
| لَّا يَذُوقُونَ فِيهَا بَرْدًا وَلَا شَرَابًا |
24 |
| তথায় তারা কোন শীতল এবং পানীয় আস্বাদন করবে না; | |
| إِلَّا حَمِيمًا وَغَسَّاقًا |
25 |
| কিন্তু ফুটন্ত পানি ও পূঁজ পাবে। | |
| جَزَاء وِفَاقًا |
26 |
| পরিপূর্ণ প্রতিফল হিসেবে। | |
| إِنَّهُمْ كَانُوا لَا يَرْجُونَ حِسَابًا |
27 |
| وَكَذَّبُوا بِآيَاتِنَا كِذَّابًا |
28 |
| এবং আমার আয়াতসমূহে পুরোপুরি মিথ্যারোপ করত। | |
| وَكُلَّ شَيْءٍ أَحْصَيْنَاهُ كِتَابًا |
29 |
| আমি সবকিছুই লিপিবদ্ধ করে সংরক্ষিত করেছি। | |
| فَذُوقُوا فَلَن نَّزِيدَكُمْ إِلَّا عَذَابًا |
30 |
| অতএব, তোমরা আস্বাদন কর, আমি কেবল তোমাদের শাস্তিই বৃদ্ধি করব। | |
| إِنَّ لِلْمُتَّقِينَ مَفَازًا |
31 |
| পরহেযগারদের জন্যে রয়েছে সাফল্য। | |
| حَدَائِقَ وَأَعْنَابًا |
32 |
| উদ্যান, আঙ্গুর, | |
| وَكَوَاعِبَ أَتْرَابًا |
33 |
| সমবয়স্কা, পূর্ণযৌবনা তরুণী। | |
| وَكَأْسًا دِهَاقًا |
34 |
| এবং পূর্ণ পানপাত্র। | |
| لَّا يَسْمَعُونَ فِيهَا لَغْوًا وَلَا كِذَّابًا |
35 |
| তারা তথায় অসার ও মিথ্যা বাক্য শুনবে না। | |
| جَزَاء مِّن رَّبِّكَ عَطَاء حِسَابًا |
36 |
| এটা আপনার পালনকর্তার তরফ থেকে যথোচিত দান, | |
| رَبِّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا الرحْمَنِ لَا يَمْلِكُونَ مِنْهُ خِطَابًا |
37 |
| যিনি নভোমন্ডল, ভূমন্ডল ও এতদুভয়ের মধ্যবর্তী সবকিছুর পালনকর্তা, দয়াময়, কেউ তাঁর সাথে কথার অধিকারী হবে না। | |
| يَوْمَ يَقُومُ الرُّوحُ وَالْمَلَائِكَةُ صَفًّا لَّا يَتَكَلَّمُونَ إِلَّا مَنْ أَذِنَ لَهُ الرحْمَنُ وَقَالَ صَوَابًا |
38 |
| যেদিন রূহ ও ফেরেশতাগণ সারিবদ্ধভাবে দাঁড়াবে। দয়াময় আল্লাহ যাকে অনুমতি দিবেন, সে ব্যতিত কেউ কথা বলতে পারবে না এবং সে সত্যকথা বলবে। | |
| ذَلِكَ الْيَوْمُ الْحَقُّ فَمَن شَاء اتَّخَذَ إِلَى رَبِّهِ مَآبًا |
39 |
| এই দিবস সত্য। অতঃপর যার ইচ্ছা, সে তার প ালনকর্তার কাছে ঠিকানা তৈরী করুক। |
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| إِنَّا أَنذَرْنَاكُمْ عَذَابًا قَرِيبًا يَوْمَ يَنظُرُ الْمَرْءُ مَا قَدَّمَتْ يَدَاهُ وَيَقُولُ الْكَافِرُ يَا لَيْتَنِي كُنتُ تُرَابًا |
40 |
| আমি তোমাদেরকে আসন্ন শাস্তি সম্পর্কে সতর্ক করলাম, যেদিন মানুষ প্রত্যেক্ষ করবে যা সে সামনে প্রেরণ করেছে এবং কাফের বলবেঃ হায়, আফসোস-আমি যদি মাটি হয়ে যেতাম। | |









